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Ravidas Jayanti 2025 : भारत के महान पुरुष रविदास जी की जयंती 12 फरवरी को मनाया जाता है जानें जीवन से जुड़ी कुछ खास बातें

Posted on February 12, 2025

Ravidas Jayanti 2025 : भारत के महान पुरुष रविदास जी की जयंती 12 फरवरी को मनाया जाता है जानें जीवन से जुड़ी कुछ खास बातें

Ravidas Jayanti 2025: भारत के सबसे महान संत रविदास भारत के महान संतों में से एक हैं संत रविदास जी ने अपने वचनों और दोहों के भक्ति से अलग छाप दुनिया में छोड़ी है आज भी उन्हें लोग उनके वचनों और उनके दोहों के लिए याद करते हैं संत रविदास जी को भारत में ही नहीं बल्कि पूरे विश्व में उन्हें पढ़ा जाता है आईए जाने रविदास जयंती कब है

Ravidash Jayanti 2025
Ravidas Jayanti 2025

Ravidas Jayanti 2025: हिंदू पंचांग के अनुसार हर साल माघ पूर्णिमा को संत रविदास जयंती मनाई जाती है इस साल संत रविदास जयंती 12 फरवरी 2025 बुधवार को मनाया जा रहा है संत रविदास जी ने रविदासिया पंत की स्थापना की थी जिनमें सिख और पंजाबी समाज भी शामिल है इन्हें संत शिरोमणि की उपाधि दी गई है यह भारत के सबसे महान संतों के संत संत रविदास शिरोमणि के नाम से जाने जाते हैं संत रविदास भारत के पहले एक ऐसे व्यक्ति थे जो छुआछूत भेदभाव उच्च नीच के खिलाफ लड़ाई लड़ने की स्थापना शुरू किए थे उनके बाद कई बहुजन महापुरुष लड़ाई को आगे लेकर आए कुछ इतिहासकारों के अनुसार गुरु रविदास जी का जन्म 1377 ई में उत्तर प्रदेश के वाराणसी शहर के किसी गांव में हुआ था जबकि कुछ विद्वानों का मानना है कि उनका वर्ष 1399 में हुआ था गुरु रविदास को रविदास शिरोमणि एवं रोहिदास के नाम से भी जाना जाता है गुरु रविदास को भारत के अलावा कई देशों में इनको पूजा जाता है इनको मानने वाले रविदास या समाज भारत में ही नहीं बल्कि पूरे विश्व में है इनको सिख पंजाबी और रविदासिया समाज अपना गुरु और आइडल मानता है

Ravidas Jayanti 2025
Ravidas Jayanti 2025


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संत रविदास समाज के लिए करते थे आंदोलन

संत रविदास जी ने जाति-पाति, समाज की कुरीतियों, और विसंगतियों के ख़िलाफ़ लड़ाई लड़ी. वे एक रहस्यवादी और कवि थे. वे उत्तर भारतीय भक्ति आंदोलन के सबसे प्रसिद्ध संतों में से एक थे उन्होंने जाति-पाति का घोर खंडन किया और आत्मज्ञान का मार्ग दिखाया उनके रचे गए कुछ भजन सिख लोगों के पवित्र ग्रंथ गुरुग्रंथ साहिब में भी शामिल हैं. रविदासिया धर्म का मुख्य प्रतीक हर्र निशान (“भगवान का चिन्ह”) है. इसे कौमी निशान भी कहा जाता है रविदासिया सिखों का मानना है कि रविदास जी उनके गुरु (संत) हैं. रविदास जी का जन्म वाराणसी में एक अछूत चर्मकार जाति के सदस्य के रूप में हुआ था ऐसा हिंदू धर्म के मानता है रविदासिया समाज भारत में ही नहीं बल्कि पूरे विश्व में फैला हुआ है

समाज सुधारक में था इनका खास योगदान

गुरु रविदास जी अपने जीवन काल में शिक्षा के अलावा समाज सुधारक में भी विशेष योगदान दिए हैं उन्होंने सामाजिक समानताएं के लिए अपनी आवाज उठाई और आपको बता दे कि गुरु रविदास जी ने अपने पूरे जीवन में अपने समाज को लेकर बहुत चिंतित रहते थे वह समाज में छुआछूत जाति भेद और उच्च नीच को लेकर बहुत चिंतित रहते थे वैसे तो वह चरण काम का काम करते थे पर समाज उनसे नफरत करता था क्योंकि उनके समाज को नीच जाति बताया जाता था इसलिए वह अपने समाज को लेकर बहुत चिंतित रहते थे और वह समाज के लिए लड़ाई लड़े और समाज में जाति भेद छुआ छूत के खिलाफ लड़ाई लड़ते रहे इसलिए रविदासिया समाज गुरु रविदास जी को अपना आइडल मानता है गुरु रविदास जी एक ऐसे व्यक्ति थे जो समाज को एक साथ लेकर चलते थे और समाज को एक किया जाति भेद को मिटाया

कैसे बने भारत के सबसे बड़े महान संत शिरोमणि रविदास जी

पौराणिक कथाओं के अनुसार एक बार संत गुरु रविदास को उनके पिता ने घर से निकाल दिया था उसके बाद वह एक कुटिया में रहने लगे और साधु-संतों की सेवा करने लगे थे संत रविदास जी जूते चप्पल बनाते थे इसलिए समाज उनसे नफरत करता था क्योंकि हिंदू रीति रिवाज के अनुसार माना जाता था कि उनका नीचे जाति में जीना पाप है इसलिए वह जाति वेद के खिलाफ लड़ाई लड़ने का फैसला किया उनके साथ छुआछूत भेदभाव होता था फिर भी वह अपने समाज को लेकर लड़ाई लड़ते रहे फिर वह अपने समाज को पैदल यात्रा कर करके समाज को जागृत करने लगे अपने समाज को जगाया पढ़ाया लिखाया और फिर वह संत रविदास जी से संत शिरोमणि रविदास के रूप में प्रसिद्ध हो गए जिनको रविदास या समाज अपना आइडल मानता है भारत के इतिहास में संत शिरोमणि रविदास जी का बहुत बड़ा योगदान रहा वह भारत के सर्वप्रथम ऐसे व्यक्ति थे जो शिक्षा और छुआछूत भेदभाव को लेकर लड़ाई लड़ने का फैसला किया था और उनका ही देने जो आज हम लोग आजादी से पढ़ाई लिखाई कर रहे हैं

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Ravidash Jayanti 2025
Ravidas Jayanti 2025

संत गुरु रविदास जी के अनमोल विचार

> संत रविदास जी कहते हैं कि कोई भी व्यक्ति जन्म से छोटा या बड़ा नहीं होता है, बल्कि वह अपने कर्मों से छोटा या बड़ा होता है

> हमें अपने कर्म को पूरी निष्ठा के साथ करते रहना चाहिए, और उसके फल की अपेक्षा नहीं करनी चाहिए। कर्म करना मनुष्य का धर्म है, और फल प्राप्त होना भाग्य पर निर्भर करता है।

>
भले ही लोग अलग-अलग नामों से ईश्वर की पूजा करें, परंतु सत्य यही है कि सभी धार्मिक ग्रंथों में एक ही ईश्वर की महिमा का गुणगान किया गया है।

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> मनुष्य की महानता या निम्नता उसके जन्म से नहीं, बल्कि उसके कर्मों से तय होती है। अच्छे कर्म व्यक्ति को ऊँचा उठाते हैं, जबकि बुरे कर्म उसे नीचे गिराते हैं।

> किसी व्यक्ति की पूजा केवल उसके जन्म के आधार पर नहीं करनी चाहिए, बल्कि उसके गुणों को देखकर ही उसका सम्मान करना चाहिए।

> समाज में जब तक जात-पात का भेदभाव रहेगा, तब तक लोग एकता से नहीं जुड़ सकते। जातिगत भेदभाव इंसानियत के विकास में सबसे बड़ी बाधा है।

संत रविदास जी की जयंती कैसे मनाते हैं

हर साल गुरु रविदास जी की जयंती की 648 वी जयंती वर्ष गांठ है इस दिन संत शिरोमणि रविदास के भक्ति भजन कीर्तन करते हैं और शोभायात्रा भी निकालते हैं वह लंगर आदि का आयोजन करते हैं संत शिरोमणि रविदास जी की जयंती मनाने के लिए लाखों करोड़ों लोग दुनिया भर से उत्तर प्रदेश के वाराणसी जिले में स्थिर गुरु रविदास जी के मंदिर पर लोग जाते हैं वहां पर भारी संख्या में दुनिया भर के लोग उपस्थित होते हैं और भजन कीर्तन करते हैं

Ravidash Jayanti 2025
Ravidas Jayanti 2025

श्री गुरु रविदास जनम अस्थान या रविदास मंदिर संत रविदास के नाम पर काशी, उत्तर प्रदेश, भारत में बीएचयू के पीछे डाफी क्षेत्र में स्थित है। सफेद संगमरमर से निर्मित इस मंदिर का गुम्बद सुनहरे रंग का है जो देखने में बेहद खूबसूरत एवं भव्य लगता है। इसे काशी का दूसरा गोल्डन टेम्पल भी कहते हैं।

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